
राजेंद्र कृष्ण: हिंदी सिनेमा का गीतकार
राजेंद्र कृष्ण, जिनका जन्म 6 जून 1919 को पाकिस्तान के जलालपुर जट्टन में हुआ, हिंदी सिनेमा के एक प्रसिद्ध गीतकार थे। अगर आप सोच रहे हैं कि ये नाम क्यों याद रखना चाहिए, तो सुनिए, उनके गाने आज भी लोगों के दिलों में एक खास जगह रखते हैं।
शुरुआत
राजेंद्र ने 1940 के दशक के मध्य में मुंबई का रुख किया। उस समय, मुंबई में सपनों की नगरी बनने की पूरी तैयारी थी। भले ही वे एक पटकथा लेखक बनने का सपना लिए आए थे, लेकिन किस्मत ने उन्हें गाने लिखने का मौका दिया। 1947 में, उन्होंने पहली बार फिल्म 'जनता' के लिए पटकथा लिखी और उसी साल 'जंजीर' में गाने भी लिखे। अगर 'जंजीर' की बात करें, तो वो फिल्म तो आज भी लोगों को हंसाने और रुलाने की काबिलियत रखती है।
प्रसिद्ध गाने
राजेंद्र कृष्ण के गाने हमेशा से लोगों के दिलों में बसते रहे हैं। "तेरे नैनों ने चोरी किया मेरा छोटा सा मन" जैसे गाने ने तो मानो एक जादू सा कर दिया। ये गाना फिल्म 'प्यार की जीत' का है और आज भी जब ये गाना बजता है, तो लोग थिरकने लगते हैं।
उनकी रचनाएँ
राजेंद्र की रचनाएँ सिर्फ गाने तक सीमित नहीं थीं। उन्होंने कई फिल्मों के लिए पटकथाएँ भी लिखीं। उनकी प्रतिभा का कोई मुकाबला नहीं था। उनके गाने जैसे "प्यार की शमा को तकदीर बुझाती क्यूं है", ने तो मोहब्बत की पूरी परिभाषा ही बदल दी।
सामाजिक प्रभाव
उनकी रचनाएँ समाज के विभिन्न पहलुओं को छूती थीं। चाहे वो प्यार हो, दर्द हो या फिर खुशी, राजेंद्र कृष्ण ने हर भाव को अपने गानों में खूबसूरती से समेटा। उनका काम एक सच्चे कलाकार की पहचान है।
निष्कर्ष
राजेंद्र कृष्ण का योगदान हिंदी सिनेमा में अमिट रहेगा। उनके गाने आज भी हमें याद दिलाते हैं कि प्यार और भावनाएँ कभी पुरानी नहीं होतीं। तो अगली बार जब आप कोई पुराना गाना सुनें, तो सोचिए कि कैसे एक छोटे से गांव से आए इस शख्स ने हमें इतना कुछ दिया। 🎶