
विश्वविद्यालय पंचांग: एक अद्भुत मार्गदर्शक
हर साल जब नया पंचांग आता है, तो ऐसा लगता है जैसे एक नई किताब खुल गई हो, जिसमें न केवल तिथियाँ होती हैं, बल्कि त्योहारों, महत्वपूर्ण सामारोहों और विश्वविद्यालय के कार्यक्रमों की भी झलक मिलती है। विश्वविद्यालय पंचांग, खासकर कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय का, एक ऐसा दस्तावेज है जो विद्यार्थियों और शिक्षकों के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन है।
पंचांग का महत्व
पंचांग का उपयोग केवल तिथियों को जानने के लिए नहीं होता, बल्कि यह एक सांस्कृतिक धरोहर भी है। इसमें धर्मशास्त्र के सभी निर्णय शामिल होते हैं, जो विद्यार्थियों के लिए मार्गदर्शक बनते हैं। कुलपति प्रो. पांडेय ने सही कहा है कि यह पंचांग विश्वस्तर पर महत्वपूर्ण है।
विशेषताएँ
- सम्पूर्ण जानकारी: पंचांग में सभी प्रमुख तिथियों, त्योहारों और विश्वविद्यालय के कार्यक्रमों की जानकारी होती है।
- संस्कृत का योगदान: यह विश्वविद्यालय संस्कृत के महत्व को बढ़ावा देता है और विद्यार्थियों को संस्कृत की गहराई में ले जाता है।
- विभागीय सहयोग: ज्योतिष विभाग और अन्य विभागों का सहयोग इसे और भी समृद्ध बनाता है।
पंचांग का इतिहास
इस पंचांग का प्रकाशन 1978 से निरंतर हो रहा है, जो कि डॉ. रामकरण शर्मा की प्रेरणा से शुरू हुआ था। यह एक अद्वितीय पहल है, जो न केवल सांस्कृतिक, बल्कि शैक्षणिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है।
कैसे करें उपयोग?
पंचांग का उपयोग करने के लिए, विद्यार्थी और शिक्षक दोनों इसे अपने अध्ययन और अनुसंधान में शामिल कर सकते हैं। यह न केवल तिथियों को जानने में मदद करता है, बल्कि विभिन्न त्योहारों और संस्कृतियों के बारे में भी जानकारी प्रदान करता है।
निष्कर्ष
इस प्रकार, विश्वविद्यालय पंचांग केवल एक साधारण तिथियों की सूची नहीं है, बल्कि यह एक सम्पूर्ण मार्गदर्शक है जो विद्यार्थियों को उनके अध्ययन और सांस्कृतिक अनुभव में मदद करता है। अगर आप भी इस पंचांग का हिस्सा बनना चाहते हैं, तो इसे अपने अध्ययन में शामिल करें और इसे अपने दोस्तों के साथ साझा करें। 🎉