
शिशुपाल नाथू पटले
शिशुपाल का परिचय
शिशुपाल, चेदि राज्य के राजा थे, जिनकी राजधानी चन्देरी थी। महाभारत में उनका महत्वपूर्ण स्थान है और उन्हें भगवान विष्णु के द्वारपाल जय का तीसरा जन्म माना जाता है। शिशुपाल एक शक्तिशाली विरोधी थे, जिन्हें श्री कृष्ण के अलावा कोई और नहीं हरा सकता था।
शिशुपाल का जन्म और प्रारंभिक जीवन
महाभारत के अनुसार, शिशुपाल का जन्म तीन आंखों और चार भुजाओं के साथ हुआ था। उनके माता-पिता ने उन्हें बाहर निकालने की कोशिश की, लेकिन स्वर्ग से आई एक आवाज ने उन्हें चेतावनी दी कि ऐसा न करें, क्योंकि उनका समय अभी नहीं आया था। यह घटना उनके जीवन के प्रारंभिक चरण को दर्शाती है।
शिशुपाल और रुक्मिणी का संबंध
शिशुपाल का विदर्भ के राजकुमार रुक्मी से घनिष्ठ संबंध था। रुक्मी चाहता था कि उसकी बहन रुक्मिणी का विवाह शिशुपाल से हो। लेकिन रुक्मिणी ने कृष्ण के साथ भागने का निर्णय लिया, जिससे शिशुपाल में कृष्ण के प्रति घृणा का भाव उत्पन्न हुआ। यह घटना उनके जीवन में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई।
शिशुपाल का विवाह और परिवार
पुराणों के अनुसार, शिशुपाल का विवाह कौशल्या द्वितीय से हुआ, जो कोशल के इक्ष्वाकु राजा की सबसे बड़ी और सुंदर लड़की थी। उनके तीन पुत्र हुए, जिनके नाम धृष्टकेतु और सुकेतु थे। शिशुपाल का परिवार उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था, लेकिन उनकी महाकवि में उनकी भूमिका मुख्य रूप से उनके युद्ध कौशल और कृष्ण के साथ संघर्ष के लिए जानी जाती है।
महाभारत में शिशुपाल की भूमिका
महाभारत में शिशुपाल का चरित्र एक विरोधी के रूप में उभरता है। उनका कृष्ण के साथ संघर्ष उनके जीवन का केंद्रीय बिंदु है। शिशुपाल की शपथ थी कि वह कृष्ण को नहीं छोड़ेगा, और अंततः उनका यह संघर्ष उनकी मृत्यु का कारण बना।
शिशुपाल की मृत्यु
महाभारत के युद्ध के दौरान, शिशुपाल ने कृष्ण को चुनौती दी। कृष्ण ने अपनी शक्ति का उपयोग करते हुए शिशुपाल को मार डाला। यह घटना न केवल शिशुपाल के लिए बल्कि पूरे महाभारत के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई।
निष्कर्ष
शिशुपाल का चरित्र महाभारत में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। उनका जीवन संघर्ष, परिवार और अंततः उनकी मृत्यु ने उन्हें एक अद्वितीय पहचान दी। महाभारत की कथा में उनका योगदान आज भी लोगों के बीच चर्चा का विषय है।


