
तंजावुर चित्रकला: एक सांस्कृतिक धरोहर
तंजावुर चित्रकला, जिसे तंजौर चित्रकला भी कहा जाता है, भारतीय कला के एक अद्वितीय रूप के रूप में जानी जाती है। यह कला शैली मुख्यतः तंजावुर, तमिलनाडु में विकसित हुई और इसका इतिहास चोल साम्राज्य के समय से जुड़ा हुआ है। तंजावुर चित्रकला की विशेषता इसकी जीवंतता, रंगों की गहराई और धार्मिक विषयों की प्रस्तुति में निहित है।
इतिहास और विकास
तंजावुर चित्रकला का उदय चोल साम्राज्य के दौरान हुआ, जब राजा राजराज चोल ने इस कला को प्रोत्साहित किया। इस समय के दौरान, चित्रकारों ने मंदिरों की दीवारों और छतों पर चित्रण करने के लिए विशेष रूप से इस कला का उपयोग किया। तंजावुर चित्रकला में धार्मिक और पौराणिक विषयों को चित्रित किया जाता है, जिसमें देवी-देवताओं, नृत्य और संगीत के दृश्य शामिल होते हैं।
विशेषताएँ
तंजावुर चित्रकला की कुछ प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:
- ग्लास पेंटिंग: तंजावुर चित्रकला में ग्लास पेंटिंग का उपयोग किया जाता है, जो इसे अन्य कला शैलियों से अलग बनाता है।
- सोने की पत्तियाँ: इस कला में सोने की पत्तियों का उपयोग करके चित्रों को और भी आकर्षक बनाया जाता है।
- धार्मिक विषय: चित्रों में मुख्यतः हिंदू देवी-देवताओं के चित्रण होते हैं, जो भक्ति और श्रद्धा को दर्शाते हैं।
- रंगों की विविधता: तंजावुर चित्रकला में रंगों का गहरा और जीवंत उपयोग किया जाता है, जो चित्रों को जीवन्तता प्रदान करता है।
तंजावुर चित्रकला का महत्व
तंजावुर चित्रकला केवल एक कला रूप नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और धार्मिकता का प्रतीक भी है। यह कला न केवल धार्मिक भावनाओं को व्यक्त करती है, बल्कि यह भारतीय इतिहास और परंपराओं को भी संरक्षित करती है। तंजावुर चित्रकला के माध्यम से, हम चोल साम्राज्य की समृद्धि और सांस्कृतिक धरोहर को समझ सकते हैं।
आधुनिक समय में तंजावुर चित्रकला
आज के समय में, तंजावुर चित्रकला को संरक्षित करने के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं। विभिन्न कला संस्थान और संग्रहालय इस कला को बढ़ावा देने और इसे नई पीढ़ी के सामने लाने का कार्य कर रहे हैं। तंजावुर चित्रकला की पेंटिंग्स आज भी पर्यटकों के बीच लोकप्रिय हैं और इन्हें खरीदने के लिए गांधी रोड पर पुंपुहर की एंटीक शॉप एक प्रमुख स्थान है।
निष्कर्ष
तंजावुर चित्रकला एक अद्वितीय और महत्वपूर्ण कला रूप है, जो भारतीय संस्कृति की गहराई को दर्शाता है। इसकी विशेषताएँ और ऐतिहासिक महत्व इसे एक अनमोल धरोहर बनाते हैं। तंजावुर चित्रकला का संरक्षण और प्रचार आवश्यक है ताकि आने वाली पीढ़ियाँ इस अद्भुत कला का अनुभव कर सकें और इसे समझ सकें।


